बहुत लंबे समय से, मैं चिड़ियाघर की सैर करना चाहता था। आखिरकार पिछले हफ्ते रविवार को, मेरे माता-पिता ने दिल्ली के चिड़ियाघर में जाने की योजना बनाई। मैं बेहद खुश था। हम लोग चिड़ियाघर के ठीक खुलने के समय पर वहाँ पहुँच गए। मेरे पिता ने हम सभी के लिए टिकट खरीदे और फिर हम मुख्य द्वार से चिड़ियाघर में दाखिल हुए।

वहाँ पर सभी जानवरों और पक्षियों के लिए उनके अनुकूल स्थान और बड़े पिंजरे थे जिनमें वह आसानी से रह सके। हमने वहाँ हिरण, बन्दर, लंगूर, लोमड़ी, बारहसिंगा, काला हिरन, जेब्रा और जिराफ देखें, उनमें से कुछ जानवर कुछ खाने की उम्मीद में हमारे तरफ आ गए थे। हमने वहाँ दो गैंडों को बाड़े के अंदर मैदान में घूमते देखा।

हमने चिड़ियाघर में आगे चलकर शेर, तेंदुआ, बाघ, चीता और काला भालू जैसे जंगली जानवर देखें। हमने एक अलग पिंजरे में एक सफेद बाघ भी देखा। इनके पिंजरे इन जानवरों को जंगल की तरह प्राकृतिक स्थान देने के लिए काफी बड़े बनाये गए थे।

हमने तालाब में काले हंस देखे। एक अलग तालाब में, मगरमच्छ तैर रहे थे। पास में सांप और अजगर के बाड़े थे। फिर हमने नीले-पीले तोते देखे जिनमें ज्यादातर के शीर्ष भाग नीले और निचले भाग पीले रंग के थे। हमने पानी में दरियाई घोड़े को देखा, जिसकी पीठ पर बैठा एक कौवा आनंदित हो रहा था। वहाँ पर सबसे ज्यादा भीड़ तो मोर और हाथियों ने आकर्षित की हुई थी।

उन सभी जानवरों को वास्तविक रूप से देखना मेरे लिए एक अद्भुत अनुभव था। अगली बार में अपने मित्रों और सहपाठियो के साथ चिड़ियाघर जाना पसंद करुँगा क्योंकि जो ज्ञान, मनोरंजन और एक अविस्मरणीय अनुभव मुझे प्राप्त हुआ उसे वो सब भी प्राप्त कर सकें।

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