न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार "प्रत्येक क्रिया के लिए, एक समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।" इस तरह विज्ञान भी एक ही समय में वरदान और अभिशाप हो सकता है। विज्ञान के आशीर्वाद में सबसे बड़ा वरदान या सबसे बुरा शाप भी हो सकता है। हम विज्ञान को दोष देते हैं। वास्तव में, इसके दुरूपयोग के लिए हमें खुद को दोष देना चाहिए। यह एक आशीर्वाद है यदि हम इसे एक सेवक के रूप में उपयोग करते हैं और यह एक अभिशाप है यदि हम इसे अपना स्वामी बनाते हैं।

विज्ञान ने समय और दूरी को जीतने में हमारी मदद की है। कार, ट्रेन, जलयान, हवाई जहाज हमें कम समय में एक जगह से दूसरी जगह जल्दी और आराम से ले जाते हैं। विज्ञान की मदद से आज एक व्यक्ति मछली की तरह समुद्र में तैर सकता है और पक्षी की तरह हवा में उड़ सकता है। जब विज्ञान हमारा स्वामी बन जाता है, तो यह बहुत विनाशकारी होता है और हम लड़ाकू विमानों, युद्धपोतों, पनडुब्बियों का उपयोग निर्दोष लोगों पर बम गिराने और हमारी सुन्दर प्रकृति को नष्ट करने के लिए  करते हैं।

दूरसंचार के क्षेत्र में विज्ञान ने जबरदस्त सफलता हासिल की है। अब हम स्मार्टफोन का उपयोग करके वॉयस और वीडियो कॉलिंग के माध्यम से दुनिया में किसी से भी सम्पर्क साध सकते हैं। ऐसी कई सेवाएं हैं जो हमारे मोबाइलों पर सरल एप्लिकेशन इंस्टॉल करके हमें लाभान्वित करती हैं। वायरलेस, इंटरनेट, उपग्रह और अंतरिक्ष यान हमारे जीवन में किसी वरदान से कम नहीं हैं। लेकिन दूसरी तरफ, सेल फोन टावरों से निकलने वाले विकिरण का हमारे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। हम उपग्रहों और रॉकेटों के मलबे को पृथ्वी की बाहरी कक्षा में फैला रहे हैं।

विज्ञान ने चिकित्सा के क्षेत्र में भी चमत्कार किया है। तकनीक और नई दवाओं की मदद से कई घातक बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। लेकिन इसका अपना बुरा पक्ष भी है कि ये दवाएं प्रतिक्रियाओं का कारण बनती हैं और कई अज्ञात बीमारियों को जन्म देती हैं।

हमने मशीनों को अपना सेवक बनाने के लिए इनका आविष्कार किया था लेकिन हम उन पर इतना निर्भर हो गए हैं कि हम उनके दास बन गए हैं। कुछ ही समय में लिफ्ट हमें इमारत के शीर्ष पर ले जाती है। क्रेन भारी वजन उठाती हैं। मशीनें खेतों की जुताई करती हैं, बीज बोती हैं और फसल काटती हैं। ऐसी मशीनें भी हैं जो सैकड़ों या हजारों मजदूरों का काम करती हैं। मशीनों ने पूंजीवाद को जन्म दिया है। मशीनों और कारखानों ने कई मजदूरों और कारीगरों का रोजगार छीन कर उन्हें सड़क पर ला खड़ा किया है।

विज्ञान ने हमें परमाणु बम दिया है जो युद्ध का एक विनाशकारी हथियार है। हिरोशिमा, नागासाकी और खाड़ी युद्ध की भयावह तस्वीर हमारे सामने है। परमाणु हथियार एक पल में वो सब कुछ नष्ट कर सकते हैं जिसके निर्माण में सदिया लगती हैं।

विज्ञान ने ईश्वर में हमारी आस्था को भ्रमित कर दिया है। इसने हमें भौतिकवादी बना दिया है। हम मानवीय मूल्यों को भूल गए हैं। हमारा भगवान केवल पैसा है। इस प्रकार हम यह भी देखते हैं कि विज्ञान ने हमें अपार शक्ति दी है और यह स्वर्ग और नर्क दोनों को हमारी दुनिया में ले आया है। अब ये यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम अपने रहने के लिए कौन-सा स्थान चुनते हैं।

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