वनीकरण का मतलब जंगलों को बनाने के लिए बंजर भूमि में पेड़ लगाना है। वन किसी देश की प्राकृतिक संपदा हैं। हम प्लाईवुड और अन्य जरूरतों के लिए पेड़ों को स्वतंत्र रूप से काट रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप खूबसूरत हिल स्टेशनों का आकर्षण भी लुट सा गया है। ठेकेदारों की कुल्हाड़ीया और धन के प्रति लालच हमारे जंगलों को बर्बाद कर रहा हैं। जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, कृषि के लिए भूमि, रेलवे और रोडवेज को स्थापित करने के लिए बड़े पैमाने पर वनों की कटाई की जा रही है।
जल की तरह ऑक्सीजन भी हमारे जीवन की प्रमुख आवश्यकता है, इसके बिना मानव जीवन संभव नहीं है इसलिए इसे प्राणवायु भी कहा जाता है और ये प्राणवायु मनुष्य जाति को वृक्षों और वनस्पतियों से प्राप्त होती है। वन वर्षा को अपनी और आकर्षित करते हैं। वन मिट्टी का कटाव, बाढ़ तथा सूखा जैसी आपदाओं को रोकते हैं। वन ग्लोबल वार्मिंग को रोकने और प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं। हमें जंगलों से भोजन, फल, लकड़ी और दवाएं मिलती हैं। कागज, माचिस और रबर उद्योग जंगलों पर निर्भर हैं। पेड़ों की छाया गर्म मौसम में हमें शीतलता प्रदान करती हैं। वन बाघ, शेर, भालू, चीता जैसे कई तरह के जंगली जानवरों को आश्रय देते हैं।
पौधों और जानवरों के संरक्षण के लिए भारत की संसद द्वारा 1972 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम पारित किया गया। वनों के संरक्षण और वनों की कटाई को रोकने के लिए 1980 में भारत की संसद द्वारा वन संरक्षण अधिनियम पारित किया गया। यह अधिनियम राज्य सरकारों पर गैर-वन उद्देश्यों के लिए वन भूमि का उपयोग करने के लिए लगाये गए प्रतिबंधों के बारे में है। राष्ट्रीय बंजर भूमि विकास बोर्ड (एनडब्ल्यूडीबी) को 1985 में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के तहत मुख्य रूप से देश की बंजर भूमि को वनीकरण और वृक्षारोपण करने के लिए स्थापित किया गया था।
जो लोग ईंधन के लिए वनों पर निर्भर है उन्हें विकल्प के रूप में गैस वितरित की जा सकती है। लोगों को प्रिंटिंग पेपर के उपयोग से बचना चाहिए और कागज की रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देना चाहिए। एग्रोफोरेस्ट्री का उपयोग करके, हम कृषि फसलों के साथ-साथ पेड़ भी लगा सकते हैं। पुराने जंगलों में खाली जगहों पर नए पेड़ लगाए जा सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए। गैर-लाभकारी संगठनों द्वारा ऑनलाइन कई अभियान चलाए जाते हैं जिसके अन्तर्गत पेड़ लगाने के लिए ऑनलाइन फंड इकट्ठा किया जाता हैं।
वनीकरण हमारे मुख्य उद्देश्यों में से एक होना चाहिए। वन संपदा का संरक्षण करना सरकार और लोगों का कर्तव्य है। प्रतिवर्ष भारत में लोगों को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए "वन महोत्सव" मनाया जाता है और यह महोत्सव लोगों को पेड़ लगाने की आवश्यकता के बारे में जागरूक भी करता है।
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जल की तरह ऑक्सीजन भी हमारे जीवन की प्रमुख आवश्यकता है, इसके बिना मानव जीवन संभव नहीं है इसलिए इसे प्राणवायु भी कहा जाता है और ये प्राणवायु मनुष्य जाति को वृक्षों और वनस्पतियों से प्राप्त होती है। वन वर्षा को अपनी और आकर्षित करते हैं। वन मिट्टी का कटाव, बाढ़ तथा सूखा जैसी आपदाओं को रोकते हैं। वन ग्लोबल वार्मिंग को रोकने और प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं। हमें जंगलों से भोजन, फल, लकड़ी और दवाएं मिलती हैं। कागज, माचिस और रबर उद्योग जंगलों पर निर्भर हैं। पेड़ों की छाया गर्म मौसम में हमें शीतलता प्रदान करती हैं। वन बाघ, शेर, भालू, चीता जैसे कई तरह के जंगली जानवरों को आश्रय देते हैं।
पौधों और जानवरों के संरक्षण के लिए भारत की संसद द्वारा 1972 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम पारित किया गया। वनों के संरक्षण और वनों की कटाई को रोकने के लिए 1980 में भारत की संसद द्वारा वन संरक्षण अधिनियम पारित किया गया। यह अधिनियम राज्य सरकारों पर गैर-वन उद्देश्यों के लिए वन भूमि का उपयोग करने के लिए लगाये गए प्रतिबंधों के बारे में है। राष्ट्रीय बंजर भूमि विकास बोर्ड (एनडब्ल्यूडीबी) को 1985 में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के तहत मुख्य रूप से देश की बंजर भूमि को वनीकरण और वृक्षारोपण करने के लिए स्थापित किया गया था।
जो लोग ईंधन के लिए वनों पर निर्भर है उन्हें विकल्प के रूप में गैस वितरित की जा सकती है। लोगों को प्रिंटिंग पेपर के उपयोग से बचना चाहिए और कागज की रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देना चाहिए। एग्रोफोरेस्ट्री का उपयोग करके, हम कृषि फसलों के साथ-साथ पेड़ भी लगा सकते हैं। पुराने जंगलों में खाली जगहों पर नए पेड़ लगाए जा सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए। गैर-लाभकारी संगठनों द्वारा ऑनलाइन कई अभियान चलाए जाते हैं जिसके अन्तर्गत पेड़ लगाने के लिए ऑनलाइन फंड इकट्ठा किया जाता हैं।
वनीकरण हमारे मुख्य उद्देश्यों में से एक होना चाहिए। वन संपदा का संरक्षण करना सरकार और लोगों का कर्तव्य है। प्रतिवर्ष भारत में लोगों को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए "वन महोत्सव" मनाया जाता है और यह महोत्सव लोगों को पेड़ लगाने की आवश्यकता के बारे में जागरूक भी करता है।
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