सफल और खुशहाल जीवन जीने के लिए शरीर और दिमाग को फिट रखना बहुत जरुरी है इसलिए जीवन में खेलना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की पढ़ाई और काम करना। अगर कोई व्यक्ति केवल काम करता है और खेलता नहीं है तो वह जल्दी ही अपने कार्य से ऊब जाएगा। इसलिए दिमाग के विकास के साथ-साथ शरीर का विकास भी जरुरी है जिस प्रकार हमारे मन को ज्ञान रूपी भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार हमारे तन को क्रीड़ा की है।
खेल स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी हैं। एक कहावत है, "स्वास्थ्य ही धन है", और यह धन हम बीमारियों से मुक्त रहकर प्राप्त कर सकते हैं और इसके लिए हम शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के व्यायाम खेलों के रूप में कर सकते है। खेल खेलने से मन तरो-ताज़ा रहता हैं और खेल शरीर को स्फूर्ति प्रदान करते हैं। जिससे हम अपने दैनिक कार्य अधिक सक्रियता से कर पाते है।
खेलों से छात्रों में अनुशासन की भावना विकसित होती है। एक अनुशासित टीम खेल जीतती है। खिलाड़ी खेल के नियमों और रेफरी के फैसले का पालन करते हैं। खेल खेलना खिलाड़ियों को जीवन में नियमों के महत्व को सिखाता है। इसलिए खिलाड़ी आम तौर पर दूसरों की तुलना में अधिक अनुशासित होते हैं। इससे खेलकूद की भावना का विकास होता है। जिसका मतलब है निष्पक्ष खेल, बिना किसी एहसान या पक्षपात के। खिलाड़ी टीम में खेलकर सफलता के लिए सहयोग की आवश्यकता सीखते हैं। इस गुणवत्ता के साथ, खिलाड़ी अपने जीवनकाल में अच्छे नागरिक साबित होते हैं। वे अपने भीतर सामुदायिक जीवन जीने और आत्म-त्याग की भावना विकसित करते हैं।
कुछ छात्र खेलों को निरर्थक और समय की बर्बादी का स्रोत समझकर उनकी उपेक्षा करते हैं। वे गलत हैं क्योंकि खेल खेलने के बाद, हम अपनी खोई हुई ऊर्जा वापस पा लेते हैं और हम अधिक रुचि के साथ अध्ययन करते हैं।इसलिए खेलों का हर शिक्षा संस्थान में छात्रों के लिए एक अनिवार्य विषय होना चाहिए।
खेलों का हमारे जीवन में एक उच्च स्थान होना चाहिए। स्वस्थ जीवन जीने के लिए हमें खेलों में भाग लेना चाहिए। यह सुस्ती को दूर करता है और हमें खुश रखता है। अगर हमारा स्वास्थ्य खराब है तो हम कोई काम नहीं कर सकते। यह बहुत ही निराशाजनक है कि हमारे खिलाड़ी ओलंपिक खेलों में बहुत कम स्वर्ण पदक जीतते हैं। सरकार को इस संबंध में एक राष्ट्रीय नीति तैयार करनी चाहिए। खिलाड़ी हमारे राष्ट्र का गौरव हैं। हमारी सरकार को एथलीटों को वित्तीय और तकनीकी रूप से मदद करनी चाहिए ताकि वो खेल के प्रति अपनी रूचि को प्रज्वलित कर सकें।
खेल स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी हैं। एक कहावत है, "स्वास्थ्य ही धन है", और यह धन हम बीमारियों से मुक्त रहकर प्राप्त कर सकते हैं और इसके लिए हम शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के व्यायाम खेलों के रूप में कर सकते है। खेल खेलने से मन तरो-ताज़ा रहता हैं और खेल शरीर को स्फूर्ति प्रदान करते हैं। जिससे हम अपने दैनिक कार्य अधिक सक्रियता से कर पाते है।
खेलों से छात्रों में अनुशासन की भावना विकसित होती है। एक अनुशासित टीम खेल जीतती है। खिलाड़ी खेल के नियमों और रेफरी के फैसले का पालन करते हैं। खेल खेलना खिलाड़ियों को जीवन में नियमों के महत्व को सिखाता है। इसलिए खिलाड़ी आम तौर पर दूसरों की तुलना में अधिक अनुशासित होते हैं। इससे खेलकूद की भावना का विकास होता है। जिसका मतलब है निष्पक्ष खेल, बिना किसी एहसान या पक्षपात के। खिलाड़ी टीम में खेलकर सफलता के लिए सहयोग की आवश्यकता सीखते हैं। इस गुणवत्ता के साथ, खिलाड़ी अपने जीवनकाल में अच्छे नागरिक साबित होते हैं। वे अपने भीतर सामुदायिक जीवन जीने और आत्म-त्याग की भावना विकसित करते हैं।
कुछ छात्र खेलों को निरर्थक और समय की बर्बादी का स्रोत समझकर उनकी उपेक्षा करते हैं। वे गलत हैं क्योंकि खेल खेलने के बाद, हम अपनी खोई हुई ऊर्जा वापस पा लेते हैं और हम अधिक रुचि के साथ अध्ययन करते हैं।इसलिए खेलों का हर शिक्षा संस्थान में छात्रों के लिए एक अनिवार्य विषय होना चाहिए।
खेलों का हमारे जीवन में एक उच्च स्थान होना चाहिए। स्वस्थ जीवन जीने के लिए हमें खेलों में भाग लेना चाहिए। यह सुस्ती को दूर करता है और हमें खुश रखता है। अगर हमारा स्वास्थ्य खराब है तो हम कोई काम नहीं कर सकते। यह बहुत ही निराशाजनक है कि हमारे खिलाड़ी ओलंपिक खेलों में बहुत कम स्वर्ण पदक जीतते हैं। सरकार को इस संबंध में एक राष्ट्रीय नीति तैयार करनी चाहिए। खिलाड़ी हमारे राष्ट्र का गौरव हैं। हमारी सरकार को एथलीटों को वित्तीय और तकनीकी रूप से मदद करनी चाहिए ताकि वो खेल के प्रति अपनी रूचि को प्रज्वलित कर सकें।
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