सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम् शस्य श्यामलां मातरं। वन्दे मातरम्
हर वर्ष 26 जनवरी गणतंत्र दिवस को हम राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते हैं। इसी दिन वर्ष 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था। इस दिन को हम राष्ट्रीय महोत्सव के रूप में मनाते हैं और भारत देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करते हैं। डॉ भीमराव अम्बेडकर संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे जिन्होंने स्वतंत्र भारत के प्रथम संविधान का प्रारूप तैयार किया था। भारत के लोकतंत्र में नागरिकों को देश और इसके लोगों के हित में काम करने वाले उम्मीदवारों को मतदान द्वारा निर्वाचित करने का अधिकार है।
यह दिन देश के सभी लोगों के लिए एक विशेष महत्व रखता है। यह बहुत खुशी, सम्मान, बलिदान और गौरव का दिन है। यह हमें उन बलिदानों की याद दिलाता है जो हमारे प्यारे स्वतंत्रता सेनानियों को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता जीतने के लिए देना पड़ा था। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, भगत सिंह, सरदार बल्लभ भाई पटेल, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस जैसे कई स्वतंत्रता सेनानियों ने भारतीय लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना भरी थीं और सम्पूर्ण भारतवासियों ने अपने आप को ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम की अग्नि में समर्पित कर दिया था और इस प्रचंड अग्नि से उठी लपटों ने आखिरकार ब्रिटिश शासन को अपनी चपेट में ले ही लिया, जिसके फलस्वरूप भारत को 15 अगस्त 1947 में आजादी मिली।
प्रतिवर्ष 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में राजपथ पर भारत के राष्ट्रपति के समक्ष एक भव्य परेड आयोजित की जाती है। इस दिन भारत का राष्ट्रीय ध्वज भारत के राष्ट्रपति द्वारा फहराया जाता है और राष्ट्रीय ध्वज को सैन्य और सामूहिक सलामी द्वारा सम्मानित किया जाता है। हर राज्य में, राज्य का राज्यपाल राष्ट्रीय ध्वज को फहराता है। स्कूलों, कॉलेज व कार्यालयों को तिरंगे झंडों, गुब्बारों एवं पतंगों से सजाया जाता है। देश के सभी सरकारी और निजी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। इस दिन, स्कूलों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद, सभी शिक्षक और छात्र राष्ट्रगान "जन गण मन" और राष्ट्रगीत "वंदे मातरम" गाते हैं। छात्र गणतंत्र दिवस पर भाषण देते हैं और सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुत करते हैं। उत्सव के बाद स्कूलों में मिठाइयां बांटी जाती है।
यह भारतीयों के लिए एक यादगार दिन है। यह दिन हमें संदेश देता है कि हमें अपने आंतरिक मतभेदों को भूल जाना चाहिए और हमें भ्रष्टाचार, आतंकवाद, बेरोजगारी, असमानता, पूंजीवाद आदि समस्याओं के खिलाफ एकजुट होना चाहिए।
"इंकलाब जिंदाबाद"
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