"वन्यजीव संरक्षण" का अर्थ - बाघ, शेर, तेंदुआ जैसे कई जंगली जीवों को जंगलो, घाटिओ, पहाड़ों में स्वतंत्र जीवन प्रदान करना है। वन्यजीवों का संरक्षण, वन्य प्रजातियों और उनके आवासों को बचाकर किया जाता है ताकि ऐसे जीव जन्तु जो विलुप्ति के कगार पे हैं उन्हें बचाया जा सकें।
मनुष्य ने भोजन के लिए, मनोरंजन के लिए और धन के लालच में जंगली जानवरों का शिकार किया है। इससे कई प्रजातियों के वन्यजीव विलुप्त हो गए हैं। मनुष्य बाघों, शेरों, सांपों, हिरणों, मगरमच्छों को उनकी त्वचा के लिए और हाथियों को उनके दांतो के लिए मारता है। लालच इतना बढ़ गया है कि कई प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं। लोग सर्कस में जानवरों को मनोरंजन की वस्तु के रूप में प्रयोग करते हैं जहां मनुष्यों को खुश करने के लिए जानवरों के साथ दुर्व्यवहार और शोषण किया जाता है। वनों की कटाई भी जंगली जानवरों के गायब होने का एक मुख़्य कारण है।
भारत में सरकार द्वारा वन्यजीवों के संरक्षण के लिए प्रयास किए गए है। जिसमें वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में भारत में पारित किया गया था। यह अधिनियम जानवरों, पक्षियों और पौधों की जंगली प्रजातियों को सुरक्षा प्रदान करता है जो कि विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहे हैं। भारत में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) और वर्ल्ड वाइल्ड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) जैसे दो सबसे बड़े गैर-सरकारी संरक्षण संगठन भी इस क्षेत्र में सराहनीय काम कर रहे हैं।
वन्यजीवों के संरक्षण के उद्देश्य से भारत में कई अभयारण्यों की स्थापना की गई है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान जो कि मध्य प्रदेश में स्थित है यह स्थान बाघ, सियार, बारासिंघा जैसे जंगली जानवरों के लिए एक आदर्श घर है। गुजरात का गिर राष्ट्रीय उद्यान शेरों, मृगों और तेंदुओं को सुरक्षित स्थान देने के लिए स्थापित किया गया था। उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, उत्तर प्रदेश में दुधवा राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान में भरतपुर पक्षी अभयारण्य, पश्चिम बंगाल में रायगंज वन्यजीव अभयारण्य इसके कुछ उदाहरण हैं।
वन्य जीव राष्ट्र की धरोहर है अतः इनका संरक्षण अनिवार्य है। कुछ जीव-जन्तु मृत प्राणियों और पौधों को खाकर प्राकृतिक खाद्य-श्रृंखला को पूर्ण करते हैं और साथ ही साथ वे पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखते हैं। इनमें से कुछ जानवर इंसुलिन और एंटी-वेनम जैसी दवाओं के स्रोत हैं। अभयारण्य एक अच्छी आय का स्रोत भी हैं क्योंकि देश के भीतर और बाहर से पर्यटक यहाँ पर प्रकृति का आनंद लेते है।
जंगली जानवर और पक्षी मानव जाति के लिए अत्यधिक उपयोगी हैं। उनका गायब होना प्रकृति में खालीपन पैदा करेगा। "वन्यजीव सप्ताह" भारत में अक्टूबर के पहले सप्ताह में वन्यजीवों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है ताकि आने वाली पीढ़ियां इन प्रजातियों को देख सकें। हर साल "विश्व वन्यजीव दिवस" मनाया जाता है इसका उद्देश्य दुनिया के जंगली जीवों और वनस्पतियों के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। संक्षेप में कहा जाये तो हमें वन्यजीवों को, हमारे देश की धरोहर को विलुप्त होने से बचाना चाहिए।
मनुष्य ने भोजन के लिए, मनोरंजन के लिए और धन के लालच में जंगली जानवरों का शिकार किया है। इससे कई प्रजातियों के वन्यजीव विलुप्त हो गए हैं। मनुष्य बाघों, शेरों, सांपों, हिरणों, मगरमच्छों को उनकी त्वचा के लिए और हाथियों को उनके दांतो के लिए मारता है। लालच इतना बढ़ गया है कि कई प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं। लोग सर्कस में जानवरों को मनोरंजन की वस्तु के रूप में प्रयोग करते हैं जहां मनुष्यों को खुश करने के लिए जानवरों के साथ दुर्व्यवहार और शोषण किया जाता है। वनों की कटाई भी जंगली जानवरों के गायब होने का एक मुख़्य कारण है।
भारत में सरकार द्वारा वन्यजीवों के संरक्षण के लिए प्रयास किए गए है। जिसमें वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में भारत में पारित किया गया था। यह अधिनियम जानवरों, पक्षियों और पौधों की जंगली प्रजातियों को सुरक्षा प्रदान करता है जो कि विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहे हैं। भारत में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) और वर्ल्ड वाइल्ड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) जैसे दो सबसे बड़े गैर-सरकारी संरक्षण संगठन भी इस क्षेत्र में सराहनीय काम कर रहे हैं।
वन्यजीवों के संरक्षण के उद्देश्य से भारत में कई अभयारण्यों की स्थापना की गई है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान जो कि मध्य प्रदेश में स्थित है यह स्थान बाघ, सियार, बारासिंघा जैसे जंगली जानवरों के लिए एक आदर्श घर है। गुजरात का गिर राष्ट्रीय उद्यान शेरों, मृगों और तेंदुओं को सुरक्षित स्थान देने के लिए स्थापित किया गया था। उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, उत्तर प्रदेश में दुधवा राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान में भरतपुर पक्षी अभयारण्य, पश्चिम बंगाल में रायगंज वन्यजीव अभयारण्य इसके कुछ उदाहरण हैं।
वन्य जीव राष्ट्र की धरोहर है अतः इनका संरक्षण अनिवार्य है। कुछ जीव-जन्तु मृत प्राणियों और पौधों को खाकर प्राकृतिक खाद्य-श्रृंखला को पूर्ण करते हैं और साथ ही साथ वे पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखते हैं। इनमें से कुछ जानवर इंसुलिन और एंटी-वेनम जैसी दवाओं के स्रोत हैं। अभयारण्य एक अच्छी आय का स्रोत भी हैं क्योंकि देश के भीतर और बाहर से पर्यटक यहाँ पर प्रकृति का आनंद लेते है।
जंगली जानवर और पक्षी मानव जाति के लिए अत्यधिक उपयोगी हैं। उनका गायब होना प्रकृति में खालीपन पैदा करेगा। "वन्यजीव सप्ताह" भारत में अक्टूबर के पहले सप्ताह में वन्यजीवों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है ताकि आने वाली पीढ़ियां इन प्रजातियों को देख सकें। हर साल "विश्व वन्यजीव दिवस" मनाया जाता है इसका उद्देश्य दुनिया के जंगली जीवों और वनस्पतियों के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। संक्षेप में कहा जाये तो हमें वन्यजीवों को, हमारे देश की धरोहर को विलुप्त होने से बचाना चाहिए।
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