पंजाब, भारत का एक राज्य है, जिसमें बहुत सारे गुरुद्वारे हैं, लेकिन श्री हरमंदिर साहिब सिखों के सबसे प्रमुख, पवित्र और पावन धार्मिक स्थलों में से एक है यह गुरुद्वारा पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित है जिसे श्री दरबार साहिब भी कहा जाता है। गुरुद्वारे का सोने का होने के कारण इसे स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। हर साल यहाँ पर विभिन्न देशों से हजारों लोग दर्शन के लिए आते है।
मैंने अपने कॉलेज के दोस्तों के साथ स्वर्ण मंदिर देखने की योजना बनाई। हम स्वर्ण मंदिर के पास के एक होटल में ठहरे थे। इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए कोई धार्मिक प्रतिबंध नहीं है। गुरुद्वारे में प्रवेश करने के लिए सभी को दुपट्टे या रुमाल से सिर को ढकने के साथ, उचित वस्त्र पहनना अति आवश्यक है और गुरुद्वारे के भीतर नंगे पांव ही प्रवेश होता है। हम सुबह जल्दी उठ गए थे और सवेरे ही गुरुद्वारे के सरोवर में स्नान कर लिया था। मुख्य गुरुद्वारे में प्रवेश करने के लिए लंबी कतार थी। अंदर पहुँचने में 3 घंटे का समय लगा और वहाँ पर हमने एक बहुत ही सुंदर स्वर्ण झूमर देखा और आंतरिक दीवारों पर सोने से बनी अति सुन्दर नक्काशी थीं। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के दर्शन के बाद, हमने स्वेच्छा से बर्तन धोने और रसोई में मदद करने की सेवा की। फिर हमने लंगर हॉल में प्रसाद के रूप में स्वादिष्ट शाकाहारी भोजन खाया। लंगर हॉल समानता का प्रतीक है क्योंकि हर कोई पंक्तियों में एक साथ एक ही जगह बैठता है और बिना भेदभाव के भोजन प्राप्त करता है।
ऐसे कई कारक हैं जो इस स्थान को अद्वितीय और असाधारण बनाते हैं। हजारों श्रद्धालु रोजाना दर्शन के लिए पवित्र मंदिर में आते हैं। स्वर्ण मंदिर सरोवर के मध्य स्थित है जिसके जल को पवित्र जल कहा जाता है और लोग अपने कर्मो को शुद्ध करने के लिए इसमें स्नान करते हैं। यहाँ हजारों लोग रोज लंगर का प्रसाद ग्रहण करते है और यह लंगर 24 घन्टे खुला रहता है। श्री हरमंदिर साहिब को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया है।
हमारे लिए एक ऐसी जगह की यात्रा करना बहुत ही प्रेरणादायक था क्योंकि यह स्थान सकारात्मक ऊर्जा और तरंगों से भरा है, जिसने हमें भी उस ऊर्जा से ओत-प्रोत किया। इस यात्रा से हमारे मन को बहुत शांति मिली और हम होटल को खुशी-खुशी वापस लौट आये।
मैंने अपने कॉलेज के दोस्तों के साथ स्वर्ण मंदिर देखने की योजना बनाई। हम स्वर्ण मंदिर के पास के एक होटल में ठहरे थे। इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए कोई धार्मिक प्रतिबंध नहीं है। गुरुद्वारे में प्रवेश करने के लिए सभी को दुपट्टे या रुमाल से सिर को ढकने के साथ, उचित वस्त्र पहनना अति आवश्यक है और गुरुद्वारे के भीतर नंगे पांव ही प्रवेश होता है। हम सुबह जल्दी उठ गए थे और सवेरे ही गुरुद्वारे के सरोवर में स्नान कर लिया था। मुख्य गुरुद्वारे में प्रवेश करने के लिए लंबी कतार थी। अंदर पहुँचने में 3 घंटे का समय लगा और वहाँ पर हमने एक बहुत ही सुंदर स्वर्ण झूमर देखा और आंतरिक दीवारों पर सोने से बनी अति सुन्दर नक्काशी थीं। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के दर्शन के बाद, हमने स्वेच्छा से बर्तन धोने और रसोई में मदद करने की सेवा की। फिर हमने लंगर हॉल में प्रसाद के रूप में स्वादिष्ट शाकाहारी भोजन खाया। लंगर हॉल समानता का प्रतीक है क्योंकि हर कोई पंक्तियों में एक साथ एक ही जगह बैठता है और बिना भेदभाव के भोजन प्राप्त करता है।
ऐसे कई कारक हैं जो इस स्थान को अद्वितीय और असाधारण बनाते हैं। हजारों श्रद्धालु रोजाना दर्शन के लिए पवित्र मंदिर में आते हैं। स्वर्ण मंदिर सरोवर के मध्य स्थित है जिसके जल को पवित्र जल कहा जाता है और लोग अपने कर्मो को शुद्ध करने के लिए इसमें स्नान करते हैं। यहाँ हजारों लोग रोज लंगर का प्रसाद ग्रहण करते है और यह लंगर 24 घन्टे खुला रहता है। श्री हरमंदिर साहिब को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया है।
हमारे लिए एक ऐसी जगह की यात्रा करना बहुत ही प्रेरणादायक था क्योंकि यह स्थान सकारात्मक ऊर्जा और तरंगों से भरा है, जिसने हमें भी उस ऊर्जा से ओत-प्रोत किया। इस यात्रा से हमारे मन को बहुत शांति मिली और हम होटल को खुशी-खुशी वापस लौट आये।
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